Saturday, August 30, 2008

तकनीकी छात्र असंतोष

मध्यप्रदेश के तकनीकी छात्र विगत कई दिनों से आन्दोलन की रह पर हैं। मगर ऐसा प्रतीत होता है कि हमेशा और हर सरकार की तरह हमारी सरकार भी इस आन्दोलन को नज़रंदाज़ कर रही हैछात्र असंतोष बढ़ता जा रहा है, कहीं ये विकराल रूप ले ले, उसके पहले ही शासन को सकारात्मक कदम उठाने का प्रयास करना चाहिए
छात्रों की मांग जायज़ है, उनका आन्दोलन जायज हैसच पूछा जाए तो यह लडाई अभिभावकों की है जिसे किशोर बच्चों ने अपने सर पर ले लिया हैतकनीकी कॉलेजों की फीस बेतहाशा बढाई गई है, मध्यमवर्गीय अभिभावक के लिए अब अपने बच्चों को इंजिनीअर बनाना एक सपना बन कर रह गया हैबैंक लोन के ख्वाब तो खूब दिखाए जाते हैं मगर ये लोन मिलना भी हर किसी के लिए आसान नहीं होता
अभिभावक बैंकों के चक्कर लगा लगा कर परेशां हो कर घर बैठ जाते हैं और बच्चे का सुनहरा भविष्य एक सपना ही रह जाता है
अब, बच्चों ने इस लडाई को अपने सर पर ले लिया है तो इसमें समाज के सभी वर्गों की भी सहानुभूति हैसरकार को चाहिए कि अविलम्ब इस समस्या का समाधान करने कि दिशा में कदम उठाये, कहीं ऐसा हो कि आगे चलकर इसे संभालना मुश्किल हो जाएसमाज के अन्य वर्गों को भी चाहिए कि इस आन्दोलन के साथ जुड़ जायें जिससे कि यह कहीं दिशा हीन होकर विध्वंसक रूप धारण कर ले
सरकार के पास इसे हल करने के दो रस्ते हैं - एक तो यह कि अभी हाल में कि जारही वृद्धि को वापस करवाया जावे तथा दूसरा यह कि बैंकों से शिक्षा ऋण दिलवाने कि प्रक्रिया को अत्यन्त आसान और पारदर्शी बनाया जावे तथा इसी निगरानी भी राखी जावे कि बैंकें इस मामले में मनमानी कर सकें.

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